Sunday, August 3, 2025

चाँद की बारात


मस्ती के आँगन में 

धरा पर उतर आई है 

चाँद की बारात 

तारों के साथ।

सारी कलियाँ, फूल महक उठे 

चाँद की अगवानी में,

चाँद का दिल धड़क रहा था 

सोच रहा था 

कलियों के फूलों के रंग 

को देखकर 

ओह!

अपनी रौशनी 

में देख न पाया अब तक इन्हें?

आज इन्हें छू तो लूं 

उसने  हाथ बढ़ाया 

मुस्कुराया 

औऱ उसका 

सपना बिखर गया।


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